बिलासपुर

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: सरकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका, प्रमोशन में आरक्षण पूरी तरह से रद्द

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की अर्जी को खारिज किया है, जिसमें कहा गया है कि 2019 के आदेश से वरिष्ठता के आधार पर नियमित पदोन्नति में किसी तरह की बाधा पैदा नहीं होती है, हाईकोर्ट ने कहा है कि अजा और अजजा को प्रमोशन में आरक्षण की नीति सुप्रीम कोर्ट के नियमों और संविधान के अनुच्छेद 16 (4) (ए) और 4 (बी) के प्रावधानों के आधार पर ही बनाई जा सकती है।

हाईकोर्ट ने वर्ष 2019 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जारी की गईं अधिसूचनाएं निरस्त कर दी हैं, इसमें वर्ग-1 से वर्ग-4 तक के अनुसूचित जाति के कर्मचारियों लिए 13 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति कर्मचारियों के लिए 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था। राज्य सरकार ने माना था कि अधिसूचना तैयार करने में गलती हुई है, तब सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस गलती को सुधारने के लिए एक हफ्ते का समय दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

हाई कोर्ट ने इसके बाद अधिसूचना पर रोक लगाते हुए और सरकार को नियमों के अनुसार दो महीने के भीतर फिर से नियम बनाने को कहा, सीजे रमेश सिन्हा की बेंच ने हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की अर्जी को खारिज किया है, जिसमें कहा गया है कि 2019 के आदेश से वरिष्ठता के आधार पर नियमित पदोन्नति में किसी तरह की बाधा पैदा नहीं होती है।

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